कल (25 अगस्त, गुरुवार) श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व है। इस दिन
भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है व विशेष पूजा भी
की जाती है। जो भी भक्त सच्चे मन से व्रत रखता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति
होती है और वह मोह-माया के बंधन से मुक्त हो जाता है। यदि यह व्रत किसी
विशेष कामना के लिए किया जाए तो वह कामना भी शीघ्र ही पूरी हो जाती है।
पूजन विधि
जन्माष्टमी
की सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद सभी देवताओं को नमस्कार कर
पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके व्रत का संकल्प लें (जैसा व्रत आप कर सकते
हैं वैसा संकल्प लें यदि आप फलाहार कर व्रत करना चाहते हैं तो वैसा संकल्प
लें और यदि एक समय भोजन कर व्रत करना चाहते हैं तो वैसा संकल्प लें)।
इसके
बाद माता देवकी और भगवान श्रीकृष्ण की सोने, चांदी, तांबा, पीतल अथवा
मिट्टी की (यथाशक्ति) मूर्ति या चित्र पालने में स्थापित करें। भगवान
श्रीकृष्ण को नए वस्त्र अर्पित करें। पालने को सजाएं। इसके बाद सोलह
उपचारों से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव,
नंद, यशोदा और लक्ष्मी आदि के नाम भी बोलें। अंत में माता देवकी को अर्घ्य
दें। भगवान श्रीकृष्ण को फूल अर्पित करें।
रात में 12 बजे के बाद श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं। पालने को झूला करें।
पंचामृत में तुलसी डालकर व माखन मिश्री का भोग लगाएं। आरती करें और रात्रि
में शेष समय स्तोत्र, भगवद्गीता का पाठ करें। दूसरे दिन पुन: स्नान कर जिस
तिथि एवं नक्षत्र में व्रत किया हो, उसकी समाप्ति पर व्रत पूर्ण करें।
शुभ मुहूर्त
शाम 06:45 से रात 08:15 बजे तक– अमृत
रात 08:15 से 09:45 बजे तक– चर
मध्य रात्रि पूजा- 12:10 से 12:40 बजे तक- लाभ